जून 18,2025
प्रोजेक्ट एमके अल्ट्रा : "जब विज्ञान बना CIA का हथियार, MK अल्ट्रा की दास्तान
हम अक्सर सोचते हैं कि सभ्य समाज में अत्याचार नहीं होते, कि लोकतंत्र का अर्थ है नैतिकता का वरण। पर इतिहास बार-बार यह दिखाता है कि सत्ता जब भय में होती है, तो वह किसी भी मर्यादा को लांघने में संकोच नहीं करती। ऐसा ही भय अमेरिका को था — शीतयुद्ध के दौर में, जब रूस की एक-एक गतिविधि को वह अपने अस्तित्व पर खतरा मानता था। और तभी जन्म हुआ — एक अदृश्य युद्ध का, जो शरीरों पर नहीं, चेतना पर लड़ा गया। नाम था — Project MK-Ultra।
यह कोई युद्धाभ्यास नहीं था, न कोई सीमावर्ती रणनीति। यह प्रयोगशाला में रचा गया ऐसा नरक था, जिसमें इंसानों के मस्तिष्क को, उनकी यादों को, उनकी चेतना को तोड़ने का प्रयास किया गया। CIA ने गुप्त रूप से ऐसे प्रयोग शुरू किए जिनका उद्देश्य था — Mind Control, यानी मन के तार छेड़ना, उसकी स्वतंत्रता छीन लेना, और उसे एक आज्ञाकारी यंत्र बना देना।
कैसे?LSD जैसे घातक साइकेडेलिक ड्रग्स देकर। नींद छीनकर। महीनों तक अलगाव में रखकर। कभी इलेक्ट्रिक शॉक से, कभी अत्यधिक दुहराए गए शब्दों से, और कभी झूठे सपनों में बाँध कर। कुछ को पता था कि उनके साथ क्या हो रहा है, और कुछ को नहीं — वे सोचते थे कि वे किसी चिकित्सा प्रयोग में हैं। पर हकीकत थी — वे प्रयोग की वस्तु बन चुके थे।
सबसे भयावह पहलू यह नहीं था कि यह प्रयोग हुए — बल्कि यह था कि वे अपने ही नागरिकों पर किए गए। विश्वविद्यालयों, अस्पतालों, जेलों, और मानसिक संस्थानों के पर्दे के पीछे — मानवता को विज्ञान के नाम पर कुचला गया। और जब इसका आभास दुनिया को हुआ, तब CIA ने फाइलें जला दीं, सबूत नष्ट कर दिए, और इतिहास में एक सन्नाटा भर दिया।
पर क्या सन्नाटा सबकुछ मिटा सकता है? नहीं।कुछ दस्तावेज़ बच गए, कुछ पीड़ित ज़िंदा बचे। और उन्होंने बताया — कि कैसे एक सशक्त राष्ट्र अपने भय में इतना अंधा हो गया कि वह अपने ही मनुष्यों की आत्मा पर अधिकार करने लगा।
Project MK-Ultra केवल एक घटना नहीं थी —वह आदर्श और अस्तित्व के बीच के संघर्ष का चरम बिंदु था।जहाँ इंसान, इंसान नहीं रहा —वह एक कोड बन गया, एक फ़ाइल, एक निष्क्रिय मस्तिष्क।
और आज जब हम तकनीक के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं, जहाँ डेटा, न्यूरो-साइंस, और एआई मिलकर मस्तिष्क को पढ़ने की बातें कर रहे हैं —MK-Ultra की परछाईं फिर सामने खड़ी हो जाती है —सिर्फ़ यह पूछने के लिए कि — "क्या तुमने पिछली बार से कुछ सीखा?" अगर नहीं,तो कालचक्र फिर उसी बिंदु पर लौटेगा —जहाँ मनुष्य का भय, विज्ञान की पीठ पर चढ़करमानवता को ही अपने पंजों में जकड़ लेगा।