जून 18,2025
नाज़ी छाया में पला अमेरिकी विज्ञान: ऑपरेशन पेपरक्लिप का रहस्य
विजय केवल ताज नहीं लाती, वह ज़िम्मेदारी भी लाती है — और कभी-कभी वह आत्मा के साथ समझौते की माँग करती है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद, जब बर्लिन की दीवारें खंडहरों में तब्दील हो चुकी थीं, जब यूरोप राख की गंध में डूबा हुआ था, उस समय अमेरिका ने एक निर्णय लिया — जो शायद युद्ध से अधिक नैतिक विफलता बन गया। उस निर्णय का नाम था: ऑपरेशन पेपरक्लिप।
यह ऑपरेशन था — उन नाज़ी वैज्ञानिकों को अमेरिका लाने का, जो हिटलर की फौज में विज्ञान के पुजारी बने हुए थे। वे वही थे, जिनके दिमाग़ों ने वी-2 मिसाइल बनाई थी, जिनकी प्रयोगशालाओं में यहूदियों और युद्धबंदियों की चीखें दब जाती थीं। पर अमेरिका को उनकी प्रतिभा चाहिए थी, उनकी तकनीकी समझ — उनके पाप नहीं। कागज़ों पर उनके नाम बदले गए। उनके अतीत को 'क्लीन' किया गया। और फिर एक एक करके वे अमेरिका लाए गए — NASA, CIA, और तमाम रक्षा प्रयोगशालाओं में नियुक्त किए गए। जिन हाथों ने कभी मृत्यु के औज़ार बनाए थे, उन्हीं हाथों ने अब चाँद पर पहुँचने की योजनाएँ लिखीं।
इसमें सबसे प्रसिद्ध नाम था — वर्नर वॉन ब्राउन — हिटलर की मिसाइल सेना का स्तंभ, और अमेरिका के अंतरिक्ष अभियान का अगुवा।वह व्यक्ति, जो पहले बंकरों में खड़ा होकर लंदन पर बम गिराता था, अब NASA का हीरो बन चुका था। क्या यह केवल रणनीति थी? या नैतिकता का व्यापार?अमेरिका ने कहा — "हमारे दुश्मन भी अगर प्रतिभाशाली हैं, तो उन्हें हमारी ताकत बन जाना चाहिए।"पर क्या प्रतिभा के आगे पाप को माफ़ कर देना चाहिए?क्या मनुष्यता सिर्फ़ चाँद पर पहुँचने से साबित होती है, या उन राहों से भी, जिनसे चलकर पहुँचा गया?
ऑपरेशन पेपरक्लिप ने यह प्रश्न जन्म दिया —कि युद्ध केवल गोलियों से नहीं, विचारों से भी लड़ा जाता है।और यदि विजेता स्वयं संवेदनाओं को दरकिनार कर दे, तो हार केवल पराजित की नहीं होती — वह समस्त मानवता की होती है।
इन वैज्ञानिकों के कारण अमेरिका तकनीकी रूप से एक महाशक्ति बना।पर उनकी छाया में — बचे रह गए वे अतीत के दृश्य, जहाँ शिविरों में लोग संख्या बनकर रह गए थे, जहाँ एक प्रयोगशाला में मानवता को टुकड़ों में बाँट दिया गया था।
इतिहास ने इस अध्याय को आधा लिखा — क्योंकि विजयी की कलम थी, और पराजित की आवाज़ को मिटा दिया गया।पर कालचक्र जब लौटेगा,तो वह वही प्रश्न फिर पूछेगा —"क्या महान बनने के लिए आत्मा का सौदा ज़रूरी है?""क्या विज्ञान को निर्दोष कहना, उसके उपयोगकर्ताओं को माफ़ कर देना है?""और क्या एक राष्ट्र, जो दूसरों से नैतिकता की अपेक्षा करता है, स्वयं उससे ऊपर हो सकता है?"ऑपरेशन पेपरक्लिप इतिहास का वह आईना है —जो जीत को भी शर्मिंदा कर सकता है।